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सांचे में ढलना...

 पहली दफा गौर किया था तो सवाल बहुत पूछती थी और मैं जवाब देता और मेरे हर जवाब पर उसका एक सवाल हमेशा तैयार रहता जैसे उसे दुनिया भर की बातें जाननी हो ।  वो कब और कैसे वो उस लडके के जिंदगी में आ गयी पता ही नही चला । बस जैसे उसका आना एक मौसम की तरह रहा वो आई और ठहर गयी । नवम्बर बहुत खास महीना भी हो गया । औरों की तरह वो मुझमे उसे वही एक खड़ूस और बेकार लड़का नही देखा उसने देखा एक उम्मीद से खाली पड़ा हुआ लड़का अकेलेपन में नशे में धुत सिगरेट के धुवे में खोया हुआ एक लड़का उस लड़की ने हिम्मत किया और धुंए के बीच जाकर उसका हाथ थाम खींच लाई उसे उसके पछतावे भरे जिन्दगी से । वो उस लड़के के अतीत को अपने दिल मे रख उसे गले से लगा लिया और कहा उससे की मैं कभी तुम्हे अपने अतीत को भूलने को नही कहूंगी ना ही तुम्हे बदलने को ।  उसे आंखे बहुत पसंद है लड़के की वही उदास भरी आंखे जिनमे ना जाने कितने सपने डूब कर तड़प कर मर गए । लड़के की जिंदगी में भी आई लड़कियां पर उन सबने उसे बस एक पैसे कमाने वाले मशीन समझ कर ही उसका हाथ थामा और इस लड़के को हमेशा से इंतज़ार रहा आयशा की तरह किसी का ...जो आये और पहले उसके दुख को समझे