... अंतर
नारीवाद को सम्मान देती हुई मेरी सोच, आज के नारीवाद के विचार से बिल्कुल अलग है। आज का नारीवाद पुरुषों के जैसा जीवन चाहता है। स्त्री और पुरुष के बीच जो जैविक अन्तर है उसे मिटाकर कुछ ऐसा साबित करना चाहता है पुरुषत्व के बीज भी हम धारण कर लें... वर्तमान विश्व में स्त्री समान अधिकार की मांग करती है, लेकिन ...सामान अधिकारों से अधिक इस बात पर सोचना चाहिए कि हम जैविक अन्तर नहीं मिटा सकते। ये स्त्रीत्व को धुंधला कर देगा एक दिन, हम स्त्रियां भूल जाएंगी कि आसमां के सृजनकर्ता ने उसी जैसा धरती पर भेजा है जो सृजन करने की क्षमता रखती है। बराबरी और मान्य ( या वाजिब) के बीच महीन अंतर है, जो नारीवाद नहीं जगह दे रहा अपने बीच। मेरे विचार मेरे व्यक्तिगत हैं... मैं अपनी हर आयु के विकास में नारीवाद पर अलग अलग विचार रखती आई हूं। कुछ वर्ष पूर्व मैं कट्टरता से बराबरी होने से सहमत थी। पर अब नहीं हूं... अब मुझे प्रकृति और स्त्री में महीन, कोमल संबंध दिखता है। एक ममत्व पलता है बचपन से स्त्री के भीतर, जो किसी भी कमजोर, अशक्त व्यक्ति को देखकर अपने आप उभर आता है। बहुत ज्यादा मै प्रकृति से जुड़ने पर विश्वास ...