मां के लिए
मुझे बहुत ज्यादा तलाश रहती है आजकल तुम्हारी गरम हथेली की। उस एहसास की जब सुबह सुबह मैं तुमसे लिपट कर गुड मॉर्निंग कहती थी और तुम मेरे गाल पर हाथ फेर कर मेरे हाथ में गरम पानी पकड़ा देती थीं। तुम्हारी आंखे याद आती हैं मुझ पर गुस्सा करने वाली, मुझे छेड़ने वाली, मुझसे रूठने वाली..मुझसे जिद करने वाली। लिपटना याद आता है, गोद में सर रखकर सो जाना याद आता है। तुम्हारा टोकना, रूठना , मनाना , खिलखिला कर हंसना..सब याद आता है। यकीं मानना मैं रो नही रही हूं, वो अलग बात है बहुत दिनो बाद तुम्हे लिखकर पुरानी यादों में तुमसे मिलना चाहती हूं।
याद है मुझे जुखाम हुआ था, इकरा चोरी से ice cream दे गई थी, तुम इतना डांट दी कि गुस्से में मैने वो फेंक दी। तुम फिर भी शांत नही हुई थी... अंत में तुमने और मैंने साथ मिलकर ice cream खाई थी। तुम भी सोच रही होंगी, आज क्यों मैं तुम्हे लिख रही, जबकि मैं बच रही थी तुम्हे लिखने से...
मां मैं बच रही थी, सामना करने से...
मैं जब आज घर से निकल रही थी, मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत महसूस हुई, मैंने आंख बंद की तुम्हे फील किया। सच में ये वही वैसा ही था... शायद तुम अब भी मेरी स्मृतियों में रहती हो तो मुझे दिक्कत नही होती तुम्हे ढूढने की... तुम मुझे फूल सी बच्ची बोलती थीं, क्यूंकि जानती थी तुम मेरा हर कमजोर क्षण, मेरी हर कमजोरी..तुम्हे पता था मुझे किस बात से दुख होगा। लेकिन तुम मुझे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा और कारण देती थीं...
तुमसे बहुत कुछ सीखना है मां, साथ बना रहेगा आगे इसी लेखनी में..
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