सब्र सीखना
सबसे कठिन है
सब्र को सीखना
सीखना कैसे प्रेम
कोई पेड़ नहीं एक बीज है,
जिसे दिल की कोमलता से सींचा जा सकता है
सीखना कैसे
ईश्वर प्रकट नहीं होते
मांगने और कोरी प्रार्थनाओं से
ईश्वर आंख बंद करने से दिखते है
और खुली आंखों से कर्म करने से
हमारे साथ चलते है।
सीखना कि धरती मां है
मां से स्नेह लिया भी जाता है
और उसे लौटाया भी जाता है
हम बेसब्री में
यह भी नहीं देख पाए कि
हम कितने स्वार्थी और विश्वासघाती बनते गए हैं
... हम सिर्फ ढोते रहे इंसानी कायदों को
और ये कायदे आज
सिर्फ दूषित सोच को बढ़ावा दे रहे हैं ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें